उ.प्र.का “जीरो वेस्ट सिटी”;प्रतिदिन 2 हजार टन कूड़े का निस्तारण

UP / Uttarakhand

(लखनऊ,UP)24जून,2025.

लखनऊ जनपद के मोहान रोड के शिवरी गांव में कूड़ा निस्तारण संयंत्र की तीसरी यूनिट का उद्घाटन किया गया। इसकी क्षमता 700 मीट्रिक टन है। शुभारंभ नगर विकास मंत्री एके शर्मा और लखनऊ की महापौर सुषमा खर्कवाल ने किया। इस यूनिट की शुरुआत से शहर से निकलने वाले 2000 हजार मीट्रिक टन कूड़े का शत-प्रतिशत निस्तारण हो सकेगा।अगले कुछ साल में इस यूनिट से बिजली भी बनने लगेगी। वहीं दूसरी ओर लखनऊ को जीरो वेस्ट सिटी भी घोषित कर दिया गया है।

नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने कहा कि लखनऊ नगर निगम ने शिवरी में मौजूद ठोस अपशिष्ट प्रोसेसिंग प्लांट पर लिगेसी (ठोस कचरा) और फ्रेश वेस्ट के वैज्ञानिक निस्तारण के लिए प्रभावी कदम उठाए हैं। शिवरी प्लांट पर वर्षों से एकत्र लगभग 10.50 लाख मीट्रिक टन पुराने कचरे का पहाड़ पर्यावरण और जनस्वास्थ्य के लिए चुनौती बना था।

सीमेंट और पेपर उद्योग में हो रहा RDF का प्रयोग : नगर विकास मंत्री ने बताया कि कचरे के निस्तारण के लिए वित्तीय वर्ष 2023-24 में 106.18 करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दी गई. मेसर्स भूमि ग्रीन एनर्जी संस्था के सहयोग से 12 मार्च 2024 से वैज्ञानिक निस्तारण शुरू हुआ. अब तक इससे निकले 2.27 लाख मीट्रिक टन रिफ्यूज डिराइव्ड फ्यूल (RDF) का सीमेंट और पेपर उद्योगों में उपयोग किया जा चुका है। इसके अलावा 4.38 लाख मीट्रिक टन कोर्स और 2.30 लाख मीट्रिक टन RDF का उपयोग क्षेत्र की भराई में किया गया।

प्लांट की क्षमता बढ़ने से कूड़ा निस्तारण में काफी मदद मिलेगी.
प्लांट की क्षमता बढ़ने से कूड़ा निस्तारण में काफी मदद मिलेगी।

लखनऊ से रोजाना निकलता है 2 हजार मीट्रिक टन कचरा : मंत्री ने बताया कि इस प्रक्रिया से 25 एकड़ भूमि को पुनर्जनन (रिक्लेम) किया गया। इसका उपयोग 2100 मीट्रिक टन क्षमता के नए वेस्ट प्लांट और ग्रीन बेल्ट विकसित करने में हो रहा है। फ्रेश वेस्ट प्रबंधन किया जा रहा है. लखनऊ की 40 लाख की आबादी (फ्लोटिंग सहित) से प्रतिदिन 2000 मीट्रिक टन कचरा उत्पन्न होता है. इसके निस्तारण के लिए मेसर्स भूमि ग्रीन एनर्जी ने दो यूनिट (1700-1800 मीट्रिक टन क्षमता) स्थापित की है।अब तीसरी यूनिट भी शुरू कर दी गई है।

आधुनिक तकनीकों से गीले और सूखे कचरे का पृथक्करण, रिसाइक्लिंग और सुरक्षित निस्तारण सुनिश्चित किया जा रहा है। एनटीपीसी के साथ 12 फरवरी 2024 को हुए एमओयू के तहत वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट की स्थापना प्रस्तावित है, जो तीन वर्षों में पूरी होगी।

लखनऊ से रोजाना निकलता है 2 हजार मीट्रिक टन कचरा : मंत्री ने बताया कि इस प्रक्रिया से 25 एकड़ भूमि को पुनर्जनन (रिक्लेम) किया गया।इसका उपयोग 2100 मीट्रिक टन क्षमता के नए वेस्ट प्लांट और ग्रीन बेल्ट विकसित करने में हो रहा है।फ्रेश वेस्ट प्रबंधन किया जा रहा है।लखनऊ की 40 लाख की आबादी (फ्लोटिंग सहित) से प्रतिदिन 2000 मीट्रिक टन कचरा उत्पन्न होता है।इसके निस्तारण के लिए मेसर्स भूमि ग्रीन एनर्जी ने दो यूनिट (1700-1800 मीट्रिक टन क्षमता) स्थापित की है। अब तीसरी यूनिट भी शुरू कर दी गई है।

आधुनिक तकनीकों से गीले और सूखे कचरे का पृथक्करण, रिसाइक्लिंग और सुरक्षित निस्तारण सुनिश्चित किया जा रहा है।एनटीपीसी के साथ 12 फरवरी 2024 को हुए एमओयू के तहत वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट की स्थापना प्रस्तावित है, जो तीन वर्षों में पूरी होगी।(साभार एजेंसी)

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