(नई दिल्ली) 12जुलाई,2025.
पंजाब जल समझौते से जुड़े मामलों के समाधान में लगातार देरी हो रही है। अब इसमें एक साल का अतिरिक्त समय लगेगा। केंद्र ने रावी और ब्यास जल न्यायाधिकरण के लिए अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने की समय सीमा एक साल के लिए बढ़ा दी है। अब न्यायाधिकरण को पांच अगस्त, 2026 तक रिपोर्ट पेश करनी होगी।
अंतर-राज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम 1956 के तहत गठित रावी ब्यास न्यायाधिकरण को पंजाब और उसके पड़ोसी राज्यों के बीच रावी और ब्यास नदी के पानी के वितरण से संबंधित मामलों का निपटारा करने का काम सौंपा गया है। न्यायाधिकरण का गठन दो अप्रैल 1986 को किया गया था। जल समझौतों को लेकर न्यायाधिकरण ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट 30 जनवरी, 1987 को केंद्र सरकार को सौंप दी थी।
इसके बाद केंद्र ने न्यायाधिकरण से समझौतों को लेकर और स्पष्टीकरण मांगे। ऐसे में समझौतों को लेकर समीक्षा प्रक्रिया चलती रही। करीब चार दशक से चल रही समीक्षा प्रक्रिया पूरी होने के बाद न्यायाधिकरण को रिपोर्ट सौंपनी थी। मगर जल शक्ति मंत्रालय ने एक बार फिर रिपोर्ट सौंपने की समयसीमा में इजाफा कर दिया।
जल शक्ति मंत्रालय द्वारा जारी एक राजपत्र अधिसूचना के अनुसार सरकार ने विस्तार के लिए न्यायाधिकरण द्वारा चिह्नित कार्य की अनिवार्यताओं का हवाला दिया। साथ ही रिपोर्ट सौंपने की सीमा को पांच अगस्त 2026 तक के लिए बढ़ा दिया।
सतलुज-यमुना लिंक नहर विवाद दूर करने पर हरियाणा-पंजाब सहमत:
केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय में अंतर-राज्यीय जल विवाद पर चर्चा के लिए हुई बैठक में पंजाब-हरियाणा सतलुज-यमुना लिंक नहर विवाद को दूर करने पर सहमत हो गए थे। पंजाब और हरियाणा के बीच जल बंटवारे के लिए दशकों पहले बनाई गई एसवाईएल नहर वर्षों से कानूनी और राजनीतिक विवाद का केंद्र है। जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने कहा कि मंत्रालय जल संसाधनों के न्यायसंगत और बेहतर प्रबंधन के लिए दोनों राज्यों को पूरा सहयोग प्रदान करेगा। (साभार एजेंसी)