महाराष्ट्र में नौकरी के लिए मराठी सीख रहे यूपी-बिहार के छात्र,बोले-भाषा राजनीति नहीं,संवाद का माध्यम

UP / Uttarakhand

(अलीगढ़,UP)21जुलाई,2025.

महाराष्ट्र में चल रहे भाषा विवाद में उत्तर भारतीयों पर हो रहे हमलों ने एक नई बहस छेड़ दी है। इस विवाद से पहले ही देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में नौकरी करने का सपना संजोने वाले उत्तर भारतीय राज्यों के विद्यार्थी एएमयू में मराठी भाषा सीख रहे हैं। इनका कहना है कि भाषा संवाद का माध्यम है और वहां जाने पर समस्या न हो, इसलिए यह भाषा सीख रहे हैं।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) मराठी भाषा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश के 450 विद्यार्थी मराठी भाषा की पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें स्नातक, परास्नातक, डिप्लोमा, पीएचडी के विद्यार्थी शामिल हैं। मराठी सीखने वालों में यूपी के आजमगढ़, बस्ती, गोरखपुर, गाजीपुर, बनारस, संभल के विद्यार्थियों की संख्या करीब 60 फीसदी है। इनमें ज्यादातर का मकसद यही है कि मुंबई या महाराष्ट्र जाने के बाद उन्हें भाषा की समस्या न हो, इसलिए मराठी सीख रहे हैं।

विद्यार्थियों ने हिंदी-मराठी विवाद को राजनीति बताया और कहा कि भाषा संवाद का माध्यम है, संघर्ष का नहीं। भाषाई विविधता हमारी ताकत है। सभी भाषाएं वंदनीय हैं। हिंदी तो जम्मू कश्मीर से कन्याकुमारी को जोड़ती है।

मुंबई से एमबीए करना चाहता हूं, वहीं पर नौकरी करने की इच्छा है। इसलिए एएमयू में मराठी भाषा सीख रहा हूं।-मो. कैफ, गाजीपुर

मैं स्नातक का छात्र हूं। सिविल सर्विस की तैयारी कर रहा हूं। मुंबई में जाकर नौकरी करने का सपना है, इसलिए मराठी सीख रहा हूं।-सरताज आलम, पूर्णिया, बिहार

नामदेव महाराज की हिंदी में भी हैं रचनाएं : योगेश
महाराष्ट्र के परभणी जिले के निवासी योगेश मुरारीमल एएमयू में मराठी भाषा विभाग में शोध छात्र हैं। उन्होंने बताया कि कई मराठी कवियों ने हिंदी में रचनाएं लिखी हैं। संत नामदेव महाराज मराठी भाषा के सबसे पुराने कवियों में से एक रहे, उन्होंने हिंदी में भी रचनाएं लिखीं। उनकी हिंदी रचनाओं में अभंग और पद शामिल हैं। उन्होंने भागवत गीता का भी प्रचार-प्रसार किया। दोनों भाषाओं के बीच साहित्य का उत्तम संबंध है। बॉलीवुड को तो पहचान ही हिंदी से ही मिली है।

अभिनय का शौक रखने वाले भी सीख रहे मराठी:
विज्ञान, कला, वाणिज्य, धर्मशास्त्र, अंतरराष्ट्रीय अध्ययन के छात्रों के अलावा बैंकिंग सेक्टर, रेलवे में नौकरी की तैयारी करने वाले छात्र हों या फिर बॉलीवुड में अभिनय की चाह रखने वाले युवा, यह भी मराठी भाषा सीख रहे हैं। इन छात्रों का कहना है कि महाराष्ट्र में नौकरी लगने के बाद वहां की मातृभाषा का ज्ञान न होने के कारण कई दिक्कतें आती हैं। रोजगार के लिए मराठी में मौखिक संवाद, अनुवाद, लेखन कौशल में पारंगत होना जरूरी है।

संस्कृत की दो जुड़वा बेटियां हैं हिंदी और मराठी :पठान
एएमयू के मराठी भाषा विभाग के प्रभारी डॉ. ताहेर एच पठान ने बताया कि मराठी और हिंदी की लिपि एक ही है, जिसे देवनागरी बोलते हैं। बहुत से शब्द भी एक जैसे हैं। इन दोनों भाषाओं को संस्कृत की दो जुड़वा बेटी भी कहा जाता है। छत्रपति संभाजी महाराज ने भी ब्रज भाषा में ग्रंथ लिखे हैं, जिनमें नखशिख और सातसतक शामिल हैं। एएमयू के बहुत से छात्र मराठी भाषा सीखकर मुंबई में नौकरी कर रहे हैं। उत्तर भारत के राज्यों के छात्रों में मराठी भाषा के प्रति रुझान बढ़ा है। इस समय 450 विद्यार्थी इस भाषा को सीख रहे हैं।

यह भी जानना है जरूरी:

450 विद्यार्थी सीख रहे हैं एएमयू में मराठी भाषा।
60 फीसदी विद्यार्थी उत्तर प्रदेश के रहने वाले।
मुंबई में नौकरी पाने के लिए संवाद, अनुवाद और लेखन सीखने को दे रहे प्राथमिकता।
विद्यार्थियों ने महाराष्ट्र में चल रहे हिंदी-मराठी भाषा के विवाद को बताया राजनीति।(साभार एजेंसी)

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