जल संचय क्रांति में देश का मॉडल बना छत्तीसगढ़

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(नई दिल्ली)01अक्टूबर,2025.

छत्तीसगढ़ में 1931 के बाद 2025 में पहली बार बारिश में रिकॉर्ड कायम किया है।प्रदेश में मानसून 2025 में मेहरबान दिखा। मानसून से जो पानी की सौगात छत्तीसगढ़ को मिली उसे प्रदेश ने तमगे के रूप में हासिल किया। प्रदेश ने बारिश के पानी को बचाकर राष्ट्रीय स्तर पर अपने अविश्वसनीय काम से एक उपहार झोली में डाला है। जिसमें वर्षा जल संचय करने को लेकर पूरे देश में रायपुर नगर निगम पहले स्थान पर रहा है. हालांकि बारिश से जितना पानी छत्तीसगढ़ को मिला उस पानी के संचय को लेकर अभी भी बड़े सवाल हैं,जिनका जवाब आना बाकी है।

पानी बचाने के लिए देश का मॉडल : रायपुर ने पूरे देश में पहला स्थान पाकर छत्तीसगढ़ को देश के सामने पानी बचाने वाले मॉडल के रूप में खड़ा किया है।अब इसकी निरंतरता बनी रहे ये सबसे जरूरी बात है। क्योंकि पहली बार बस्तर में जिस तरीके से बाढ़ ने तबाही का मंजर दिखाया है।उसने इस बात को सोचने पर मजबूर किया है कि पानी को बचाने के अलावा भी बहुत सारे काम करने बाकी हैं। इसे लेकर बड़ी योजना तैयार करने की भी जरुरत इसलिए भी है कि छत्तीसगढ़ का पानी छत्तीसगढ़ में रहे और इस पानी से परेशान भी छत्तीसगढ़ न हो।

सौगात या परेशानी का पानी : राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ में जो मुकाम हासिल किया है वह सौगात के पानी के लिए मिला है। रायपुर में वर्षा के जल को बचाने के लिए जितने उपाय किए थे वह पूरे देश में सबसे अहम माने गए हैं। जिस पानी को रायपुर में संचित कर लिया है वह छत्तीसगढ़ के लिए सौगात का पानी है। सौगात के पानी से तात्पर्य यह भी है कि जिस पानी को हम लोगों ने बचा लिया है, जिस पानी को बाहर बहने नहीं दिया है वो रायपुर के लिए बड़े वरदान के तौर पर है। क्योंकि आज भी रायपुर में कई इलाके ऐसे हैं जहां गर्मियों में पानी की किल्लत होती है। इन जगहों पर टैंकर से पानी की सप्लाई करनी पड़ती है।वे इलाके जहां तेजी से आबादी बढ़ी है और निर्माण कार्य हुआ है। वहां पर भू जलस्तर काफी गंभीर हो चुका है।

1931 के बाद रिकॉर्ड तोड़ बारिश : 2025 में जिस तरीके से मानसून ने छत्तीसगढ़ में दस्तक दी और जितनी बारिश हुई वो 1931 के बाद पहली बार हुआ है। लेकिन 1931 में जैसे हालात थे उससे बहुत बदले हुए हालात 2025 में देखने को मिले हैं। 1931 के उस बारिश के आकलन में नुकसान का कोई बड़ा पहलू सामने नहीं आया है. लेकिन 2025 में बस्तर में बड़े नुकसान की बात भी सामने आई. जो परेशानी वाले पानी का एक उदाहरण है. लेकिन आने वाले दिनों में यदि ये परेशानी सौगातों वाली बने इसके लिए बेहतर प्लानिंग की जरुरत है।

बस्तर के लिए उपयोगी हो सकता है रायपुर मॉडल : बस्तर में पानी को रोकने वाले जल स्रोतों को विकसित करना और पानी संग्रहण के लिए बड़ी रणनीति पर काम करना। ये दो ऐसी प्रमुख चीजें हैं जिस पर काम कर लिया जाए तो परेशानी वाला पानी सौगात वाला पानी हो सकता है। इसमें बहुत ज्यादा अड़चन भी नहीं है, क्योंकि रायपुर में इस काम को करके पूरे देश के सामने एक मॉडल खड़ा किया गया है। जो पानी के संचय को लेकर छत्तीसगढ़ की जीत की कहानी कहता है।

पुरस्कार मिलने पर सरकार ने दी बधाई : जल संचय जन भागीदारी पुरस्कार में राजधानी रायपुर को प्रथम स्थान और राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश को दूसरा स्थान मिलने पर सीएम विष्णुदेव साय ने प्रदेश की जनता को बधाई दी।रायपुर नगर निगम में 33 हजार 82 कार्य पूरे कर जल संरक्षण को जन-आंदोलन का रूप दिया गया है।(साभार एजेंसी)

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