(नई दिल्ली)01अक्टूबर,2025.
देश की ग्राम पंचायतें अब डिजिटल इंडिया की नई पहचान बन चुकी हैं। गांवों तक इंटरनेट और तकनीक पहुंचने से शासन-प्रशासन, शिक्षा, स्वास्थ्य और वित्तीय सेवाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही आई है। 2.68 लाख से अधिक पंचायतें, जो 70 फीसदी आबादी का प्रतिनिधित्व करती हैं, अब सीधे ऑनलाइन प्रणाली से जुड़ी हैं।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश के 6.44 लाख गांवों में से 6.26 लाख गांवों तक 3जी/4जी मोबाइल नेटवर्क के जरिये इंटरनेट सेवा पहुंच चुकी है। भारतनेट के तहत 13 लाख से अधिक फाइबर टू द होम (एफटीटीएच) कनेक्शन भी दिए गए हैं। इससे ग्रामीण भारत के लिए योजना निर्माण से लेकर भुगतान तक की प्रक्रिया ऑनलाइन हो गई है। पंचायतों की इस डिजिटल यात्रा ने शासन व्यवस्था को पारदर्शी और तेज बना दिया है। एआई आधारित बैठक रिकॉर्ड, भू-स्थानिक नियोजन और नागरिक केंद्रित मोबाइल एप गांवों में विकास की नई राह खोल रहे हैं।
अगस्त 2025 तक 1.73 लाख गांवों की 2.63 करोड़ संपत्तियां ऑनलाइन दर्ज हो चुकी हैं और 3.5 लाख गांवों का ड्रोन सर्वेक्षण पूरा हुआ है। 2.54 लाख ग्राम पंचायतों ने अपनी विकास योजनाएं ई-ग्राम स्वराज पोर्टल पर अपलोड की हैं। 2.41 लाख पंचायतें 15वें वित्त आयोग की अनुदान राशि का पूरा उपयोग ऑनलाइन कर रही हैं। सभागार एप और मेरी पंचायत मोबाइल एप जैसे प्लेटफॉर्म बैठकें रिकॉर्ड करने, संपत्ति प्रबंधन, बजट निगरानी और नागरिक सेवाओं तक पहुंच आसान बना रहे हैं। विशेष बात यह है कि अब पंचायत की बैठकें 14 भाषाओं में तुरंत रिकॉर्ड होकर अपलोड हो रही हैं।
भारतनेट परियोजना से शुरू हुआ बदलाव:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल अप्रैल में ग्रामीण संपत्ति सर्वेक्षण और मानचित्रण योजना की शुरुआत की थी, जिसके जरिए हर नागरिक अपनी जमीन और घर का ऑनलाइन स्वामित्व प्रमाण पत्र कहीं से भी प्राप्त कर सकता है। ड्रोन और डिजिटल मानचित्रण तकनीक ने पटवारी पर दशकों से चली निर्भरता खत्म कर दी है। दरअसल, यह बदलाव 2011 में भारतनेट परियोजना से शुरू हुआ था, लेकिन 2014 के बाद इसमें तेजी आई। आज ई-गवर्नेंस के उपकरण ई-ग्राम स्वराज, ग्राम स्वराज एप, मेरी पंचायत एप और निर्णय पोर्टल डिजिटली सक्षम बनाते हुए ग्रामीण लोकतंत्र को और मजबूत कर रहे हैं(साभार एजेंसी)