क्वांटम नॉनलोकैलिटी पर नए अध्ययन से इसके उपयोग का दायरा बढ़ा

National

(नई दिल्ली)20अगस्त,2024.

वैज्ञानिकों ने प्रयोग के ज़रिए बताया कि गैर-स्थानीय क्वांटम सहसंबंधों को मापने और परिमाणित करने के लिए कोई सर्वव्यापी मानक संभव नहीं है। क्वांटम नॉनलोकैलिटी दूर की भौतिक वस्तुओं के बीच अनोखे संबंध का वर्णन करती है, जो प्रकाश से तेज़ संचार की अनुमति नहीं देती है। यह नया शोध क्वांटम गैर-स्थानीय सहसंबंधों के संभावित अनुप्रयोगों को व्यापक बनाता है। इनका उपयोग पहले से ही सुरक्षित संचार, क्रमरहित संख्या निर्माण और क्रिप्टोग्राफ़िक कुंजी निर्माण में किया जाता है। अपनी शुरुआत से ही, क्वांटम नॉनलोकैलिटी ने प्राकृतिक विज्ञान में अपनी व्यापक अपील के कारण सबका ध्यान आकर्षित किया है, जो यंत्र रहित प्रौद्योगिकियों में हाल की प्रगति को प्रभावित करता है। इसकी कहानी 1964 में शुरू हुई जब उत्तरी आयरलैंड के भौतिक विज्ञानी जॉन स्टीवर्ट बेल ने एक प्रमेय पेश किया जिसने क्वांटम दुनिया के बारे में हमारा नज़रिया ही बदल दिया। बेल ने दिखाया कि ‘स्थानीय यथार्थवाद’ शास्त्रीय भौतिकी में सही है, यह क्वांटम स्तर पर लागू नहीं होता है। ‘स्थानीय यथार्थवाद’ एक ऐसा विचार कि वस्तुओं में अवलोकन से हटकर निश्चित गुण होते हैं और वे केवल अपने आस-पास के वातावरण से प्रभावित होते हैं। कई, दूर के हिस्सों वाली क्वांटम प्रणालियों में ऐसे सहसंबंध दिखाई देते हैं जिन्हें स्थानीय यथार्थवाद के माध्यम से समझाया नहीं जा सकता है। बाद में प्रयोगों के माध्यम से बेल के प्रमेय की पुष्टि हुई। इस पुष्टि के बाद क्वांटम दुनिया की गैर -स्थानीय प्रकृति की स्थापना हुई और इसे 2022 के भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से मान्यता मिली। तब से क्वांटम नॉनलोकैलिटी सुरक्षित संचार, क्रमरहित संख्या प्रमाणीकरण और क्रिप्टोग्राफ़िक कुंजी निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन बन गई है। इससे यह समझना महत्वपूर्ण हो गया है कि इन क्वांटम सहसंबंधों को कैसे मापें और तुलना करें। वैज्ञानिक ऐसे गैर-स्थानीय संसाधनों की ताकत की तुलना करने के लिए एक पूर्ण ढांचे की खोज कर रहे हैं। फिजिकल रिव्यू लेटर्स में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान एसएन बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज के डॉ. माणिक बानिक ने भारतीय सांख्यिकी संस्थान कोलकाता, एबीएन सील कॉलेज कूच बिहार और हांगकांग विश्वविद्यालय के सहयोगियों के साथ मिलकर दिखाया कि क्वांटम नॉनलोकैलिटी को मापने के लिए एक सर्वव्यापक मानक असंभव है।
उनके शोध से पता चलता है कि नॉनलोकैलिटी की प्रकृति सहसंबंध के प्रकार के आधार पर भिन्न होती है। इसमें सहसंबंध सीमा पर अनंत अद्वितीय बिंदु होते हैं। इसका मतलब है कि गैर-स्थानीयता की दुनिया में कोई एकल, सर्वव्यापक भौमिक संसाधन नहीं है। इसके बजाय, प्रत्येक गैर-स्थानीय संसाधन अलग है, जो ऐसे विशिष्ट कार्य करने में सक्षम है जो अन्य नहीं कर सकते। यह खोज क्वांटम यांत्रिकी की हमारी समझ को और बढ़ाती है, जो एक मूल्यवान और विविध संसाधन के रूप में क्वांटम नॉनलोकैलिटी की जटिलता और विशिष्टता को उजागर करती है(साभारPIB)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *