(देहरादून)25अगस्त,2024.
हिमालय की अस्मिता और उत्तराखंड के पर्यावरण के लिए चिंतित सामाजिक, राजनीतिक और पर्यावरण प्रेमी संगठनों और जागरूक नागरिकों ने आज देहरादून में एक पदयात्रा निकालकर सरकारी तंत्र को एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है।
पदयात्रा के माध्यम से, ये संगठन और नागरिक उत्तराखंड में पिछले 24 वर्षों से हिमालय के परिपेक्ष में हो रहे विनाश के बारे में चिंता व्यक्त कर रहे हैं। चाहे वह चार धाम की सड़क परियोजना हो, एनटीपीसी की जोशीमठ की परियोजना हो, या जलवायु परिवर्तन के अनेक उदाहरण हों, इन सबके बीच कोई जवाबदेही नहीं तय की गई है।
पदयात्रा के प्रतिभागियों ने मांग की है कि अगर एनटीपीसी की जल विद्युत परियोजना को पुनः आरम्भ किया जाता है, तो गलती होने पर किस संस्था या किस अधिकारी की क्रिमिनल और सिविल जवाबदेही तय की जाएगी। यह जवाबदेही ना केवल एनटीपीसी के स्तर पर बल्कि शासन-प्रशासन के स्तर पर भी तय होनी चाहिए।
पदयात्रा के प्रतिभागियों ने यह भी मांग की है कि इंडिपेंडेंट एक्सपर्ट्स पहले इस बात का निर्णय लें कि जोशीमठ जैसे पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील स्थान पर फिर से ब्लास्टिंग और जल विद्युत परियोजना जैसा बड़ा कार्य आरम्भ किया जा सकता है या नहीं।
पदयात्रा के माध्यम से, ये संगठन और नागरिक हिमालय के उपहास को रोकने और उत्तराखंड के पर्यावरण की सुरक्षा के लिए एकजुट हो रहे हैं।
नुकसान का सबसे बड़ा कारण प्राकृतिक कारण न होकर जो मानवीय हस्तक्षेप पर्यावरण पर किया जा रहा है और हिमालय के प्रतिकूल है विनाश का सबसे बड़ा कारण है।
इस रैली के बाद विभिन्न संगठनों ने एकजुट होकर जनहित याचिका के याचिकाकर्ता और उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पी सी तिवारी ,मैड संस्था की ओर से प्रिंस कपूर, महक नेगी, खुशबू नेगी, दक्ष नरूला, आर्यन कोली, राहुल रावत,मेघा कोचर,खुशी भट्ट, अर्नव नेगी, अक्षिता सजवान, नरेश चंद्र नौरियल , शिव प्रसाद सेमवाल, ज्ञानवीर त्यागी , सी. पी. शर्मा , जोशीमठ से दीपक नगवाल हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता बी पी नौटियाल, फ्रेंड्स ऑफ दून से परमजीत , समाज सेवी अनूप नौटियाल, पर्यावरण के जानकार रवि चोपड़ा इत्यादि शामिल रहे।