(प्रयागराज UP)04दिसम्बर,2024.
महाकुंभ में इस बार आठ हजार से अधिक संस्थाओं को बसाने का लक्ष्य हैं। जो पिछले कुंभ की तुलना में डेढ़ गुने से अधिक हैं। इन संस्थाओं में 3800 संस्थाएं ऐसी हैं जो कुंभ में सनातन धर्म के प्रचार के लिए शिविर लगाती रही हैं। इन्होंने बांस से शिविर और प्रवेश द्वार निर्माण को प्राथमिकता दी है।
संगम की रेती पर इस बार कुंभनगर पूरी तरह इको फ्रेंडली होगा। बांस-लकड़ी से संतों, महंतों, आचार्यों, महामंडलेश्वरों और शंकराचार्यों के शिविर बनाए जाने लगे हैं। इसकी बसावट से पांच राज्यों के 25 हजार से अधिक कारीगरों को रोजगार मिल रहा है।
महाकुंभ में इस बार आठ हजार से अधिक संस्थाओं को बसाने का लक्ष्य हैं। जो पिछले कुंभ की तुलना में डेढ़ गुने से अधिक हैं। इन संस्थाओं में 3800 संस्थाएं ऐसी हैं जो कुंभ में सनातन धर्म के प्रचार के लिए शिविर लगाती रही हैं। इन्होंने बांस से शिविर और प्रवेश द्वार निर्माण को प्राथमिकता दी है।
शास्त्री पुल के नीचे शिविर का निर्माण करा रहे देवरहा बाबा न्यास मंच के महंत राम दास का कहना है कि महाकुंभ हो या माघ मेला, त्याग और संयम के साथ रेती पर कल्पवास की परंपरा रही है। बांस के शिविर में अलग ही आनंद मिलता है। इसलिए ईको फ्रेंडली शिविर बनाने को प्राथमिकता दी जा रही है। अखाड़ा क्षेत्र में श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी में 32 झोपड़ियां बांस से बनाई जा रही हैं।
शिविर को तैयार करने के लिए यूपी, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश से 25 हजार से अधिक कारीगर आए हैं। बिहार के पूर्णिया से आए कारीगर शंभू का बताते हैं कि उनके राज्य के चार जिलों से सात हजार से अधिक श्रमिक कॉटेज लगाने का काम कर रहे हैं। शिविर की कुटिया, यज्ञशाला और एकांत साधना कक्ष के निर्माण के लिए बांस और सरपट के शिविरों की मांग अधिक है।
अखाड़ों में कॉटेज बना रहे रजत निषाद कहते हैं कि 15 दिनों के अंदर 32 कुटिया बनानी है। चार हजार हेक्टेयर में बसने वाले मेला क्षेत्र में इस बार 25 सेक्टर बनाए जा रहे हैं। हर सेक्टर में 400 से अधिक संस्थाएं बसाई जा रही हैं। दारागंज, हेतापट्टी, मलवा छतनाग, झूंसी में शिविरों का निर्माण करने के लिए कारीगरों की डिमांड ज्यादा है(साभार एजेंसी)