विहंगम योग के शताब्दी समारोह का शुभारंभ, फहरा ध्वज

UP / Uttarakhand

(वाराणसी UP) 06दिसम्बर,2024.

स्वर्वेद महामंदिर धाम का प्रांगण स्वर्वेद के संगीतमय पाठ से गुंजायमान हो उठा। मंदिर के आसपास के गांव में उत्सव सरीखा माहौल है। उमरहां बाजार से लेकर मंदिर प्रांगण तक श्रद्धालुओं की भीड़ है। मंदिर क्षेत्र में बनाए गए देशी-विदेशी नगर के तंबुओं में श्रद्धालुओं ने भी डेरा डाल दिया है। आयोजन की तैयारियां देर शाम तक पूरी हो गईं।

बीती देर रात तक स्वर्वेद मंदिर धाम के प्रांगण में आयोजित 25 हजार कुंडीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ में आहुति देने के लिए देश व दुनिया से आने वाले अनुयायियों का रेला पहुंचता रहा। कार्यक्रम का शुभारंभ छह दिसंबर को सुबह सात बजे सद्गुरु स्वतंत्र देव महाराज एवं संत प्रवर विज्ञान देव महाराज के सानिध्य में अ अंकित श्वेत ध्वजा फहराकर किया जाएगा। रोज सुबह सात बजे से आसन-प्राणायाम और ध्यान का अभ्यास कराया जाएगा। शाम चार बजे से मंचीय कार्यक्रम होगा।

इसमें विभिन्न राज्यों के लोक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति होगी। आध्यात्मिक भजनों के बाद संत प्रवर विज्ञान देव महाराज का प्रवचन होगा। सुबह 10 बजे से ब्रह्मविद्या विहंगम योग की क्रियात्मक ध्यान पद्धति सिखाई जाएगी। शनिवार को सुबह 10 बजे से 25 हजार कुंडीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ हुआ।

इसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। संपूर्ण महामंदिर परिसर में आकर्षक विद्युत सजावट की गई । दोपहर में पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने मातहतों के साथ यज्ञ स्थल, स्वर्वेद महामंदिर धाम की सुरक्षा व्यवस्था का निरीक्षण किया। व्यवस्था में लगे सभी पुलिसकर्मियों को आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए।

देर रात तक पहुंचते रहे श्रद्धालु:
आयोजन में उत्तर प्रदेश सहित बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान, बंगाल, असम, महाराष्ट्र समेत कई प्रांतों और कई देशों से भी विहंगम योग के अनुयायियों के आने का सिलसिला देर रात तक लगा रहा।

शुरू हुआ स्वर्वेद संगीतमय पाठ:
कार्यक्रम की पूर्व संध्या पर विहंगम योग के प्रणेता सद्गुरु सदाफल देव महाराज द्वारा समाधिजन्य अवस्था में रचित स्वर्वेद का संगीतमय पाठ पारायण किया गया। इस अवसर पर एकसाथ स्वर्वेद का पाठ कर रहे हजारों विहंगम योग के भक्तों व शिष्यों को स्वर्वेद के बारे में बताते हुए संत प्रवर विज्ञान देव महाराज ने कहा कि विहंगम योग का मूल है अनंत सदगुरु सदाफलदेव महाराज द्वारा रचित स्वर्वेद महाग्रंथ।

इस ग्रंथ के पठन मात्र से संस्कार शुद्ध होने लगते हैं। चेतना ऊर्ध्वमुख हो जाती है। स्वर्वेद महाग्रंथ को समर्पित स्वर्वेद महामन्दिर धाम विश्व के सबसे बड़े साधना केंद्र में से एक है। महामंदिर की दीवारों पर स्वर्वेद के दोहे श्वेत मकराना संगमरमर पर उत्कीर्ण किए गए हैं(साभार एजेंसी)

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