(लखनऊ UP)10जनवरी,2025.
नारी का जज़्बा अब हर राह चमकाता है, लखनऊ मेट्रो में उसका दम भी नजर आता है। मेट्रो में महिलाओं की सशक्त भूमिका ने शहर के विकास में नया आयाम जोड़ा है। वह न केवल मेट्रो संचालन में सक्रिय हैं, बल्कि तकनीकी और प्रशासनिक जिम्मेदारियां भी बखूबी निभा रही हैं। मेट्रो के कई प्रमुख स्टेशनों पर महिला ऑपरेटर्स और स्टाफ अपनी दक्षता और समर्पण से यात्रियों का भरोसा जीत रही हैं। उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन में वर्तमान में 241 महिला कर्मचारी हैं। इनमें लखनऊ मेट्रो में 117, कानपुर में 67 और आगरा में 57 महिलाएं कार्यरत हैं, जो आर्किटेक्चर, एचआर, फाइनेंस, ऑपरेशन, सिविल समेत अन्य विभागों में सेवाएं दे रहीं हैं।
वहीं, महिला एससीटीओ की बात करें तो कुल 94 महिलाएं यूपी मेट्रो की बागडोर संभाल रही हैं। लखनऊ मेट्रो में 42 महिला एससीटीओ हैं, जो ट्रेन संचालन से लेकर स्टेशन कंट्रोलिंग का जिम्मा संभाले हुए हैं।
मीडिया से बातचीत में इन महिलाओं ने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि कैसे सर्दी के मौसम में सुबह छह बजे से ही वह यात्रियों की सेवा के लिए तैयार रहती हैं। कहा कि यात्रियों का भरोसा ही उन्हें शक्ति देता है। इसे बनाए रखने के लिए वह हर मुश्किलों से जूझती है।
सपनों को रफ्तार दे रही यूपी मेट्रो:
हजरतगंज मेट्रो स्टेशन की कंट्रोलर अंजलि ने बताया कि जब वह पहली बार मेट्रो के केबिन में बैठीं तो उन
के अंदर उत्साह और जिम्मेदारी का अनोखा मिश्रण था। महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं तो उनका भी सपना कुछ अलग करना था। उन्हें गर्व है कि वह यूपी मेट्रो का हिस्सा हैं और इसका संचालन कर रही हैं।
परिवार और मेट्रो दोनों संभालती हैं:
ट्रेन ऑपरेटर आंचल बताती हैं कि महिलाओं में घर और ऑफिस दोनों संभालने की क्षमता होती है। लखनऊ मेट्रो में महिला कर्मचारियों को ऐसा वातावरण दिया जाता है कि जहां वह अपने काम और परिवार दोनों के साथ न्याय कर सकें। सर्दी में सुबह जागने का मन नहीं करता, लेकिन यात्रियों की जिम्मेदारी है तो छह बजे स्टेशन पहुंच जाती हैं। यह नौकरी उन्हें आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनाती हैं।
एससीटीओ आकांक्षा अपने कार्यक्षेत्र के अनुभव को साझा करते हुए बताती हैं कि कैसे वह पूरा स्टेशन संभालती हैं और यात्रियों की मदद भी करती हैं। मेट्रो यात्रा के दौरान यात्रियों को प्राथमिक उपचार देना हो या फिर खोए सामान को सुरक्षित लौटाना। वह हर चुनौती के लिए तैयार रहती हैं। आकांक्षा ने बताया कि कैसे उन्होंने अपनी शिफ्ट के दौरान एक बेहोश यात्री का प्राथमिक उपचार भी किया।
लखनऊ मेट्रो की जन संपर्क अधिकारी हितेश चांदना का कहना है कि महिला कर्मचारियों को हर स्तर पर प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे न केवल रोजगार के अवसर बढ़े हैं, बल्कि महिलाओं के आत्मनिर्भर बनने का सपना भी साकार हो रहा है। यह पहल नारी सशक्तीकरण और शहर के आधुनिक परिवहन में महिलाओं की भूमिका दर्शाने वाला एक अनुकरणीय कदम है।(साभार एजेंसी)