(वाराणसी UP) 09फरवरी,2025.
महाकुंभ में स्नान के लिए श्रद्धालुओं का रेला थम नहीं रहा है। उधर, अखाड़ों के नागा संन्यासी और संत काशी आने लगे हैं। पंचदशनाम अखाड़े के नागा साधुओं का काशी में आगमन हुआ। कबीरचौरा अखाड़े में उनका भव्य स्वागत कर वैदिक विधि से पूजन अर्चन किया गया।
उन्होंने अपने आराध्यदेव की पूजा की। अभी तक तीन अखाड़ों के 550 से अधिक नागा साधु काशी पहुंच चुके हैं। वे अखाड़ों और मठों के साथ दशाश्वमेध, शिवाला, हनुमानघाट, केदारघाट, चौकी घाट आदि घाटों को भी अपनी धूनी स्थली बनाए हुए हैं।
नागा संन्यासी और संत महाकुंभ में तीन अमृत स्नान के बाद वे अपने अखाड़ों में लौटने लगे हैं। हर अखाड़ों के छोटे-छोटे जत्थे वहां से निकल रहे हैं। शैव अखाड़ों के नागा संन्यासी काशी आते हैं। जबकि वैष्णव के अपने अखाड़ों में जाते हैं। हालांकि, इनके साधु-संत अपने माघी पूर्णिमा स्नान के बाद अपने अखाड़े जाएंगे।
पंचदशनाम निरंजनी, अटल अखाड़े और महानिर्वाणी अखाड़े के 550 से अधिक नागा साधु काशी आए हैं। शनिवार को भी सुबह आह्वान अखाड़े के 50 से अधिक नागा साधु काशी पहुंचे।
अखाड़े के शंभू पंच के श्रीमहंत सभापति प्रयाग भारती ने बताया कि कबीरचौरा के औगढ़नाथ तकिया स्थित शंभू पंचदशनाम आह्वान अखाड़े में भोर में संगत पहुंची है। कुछ नागा साधु पांच फरवरी के बाद से ही आने लगे हैं। शनिवार को संगत के साथ लाव-लश्कर भी पहुंचा है।
आज जूना अखाड़े के नागा साधु आएंगे:
सबसे बड़े अखाड़े के शंभू पंच दशनाम जूना अखाड़े की संगत रविवार को काशी पहुंचेगी। अखाड़े के प्रबंधक दिनेश मिश्रा ने बताया कि चांदपुर से गाजेबाजे के साथ जुलूस निकाला जाएगा, जो विभिन्न मार्गों से होते हुए हनुमान घाट पहुंचेगा। यहां उनके स्वागत होगा। इसके बाद विधिवत पूजन अर्चन होगा।
नए पदाधिकारियों ने लगाई गद्दी
अखाड़ों के नागा साधुओं के चुनाव के बाद उनके काशी आने के बाद उनकी गद्दी और आसन लगाया जा रहा है। शनिवार को आए आह्वान अखाड़े के नागा साधुओं के साथ उनके नए पदाधिकारी काशी पहुंचे।
7 लाख श्रद्धालुओं ने किए बाबा विश्वनाथ के दर्शन:
महाकुंभ के पलट प्रवाह के चलते शनिवार को शहर में जबरदस्त भीड़ रही। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के लिए भोर से देर रात तक कतार लगी रही। शनिवार को सात लाख लोगों ने मंदिर में दर्शन किए। चौक से दशाश्वमेध घाट तक बैरिकेडिंग में श्रद्धालु दर्शन के लिए इंतजार करते रहे। गिरजाघर पर एक बार फिर डायर्वजन किया गया था, जिससे भीड़ को घाट की गलियों से होकर विश्वनाथ मंदिर भेजा गया(साभार एजेंसी