यूपी में तेल भंडार की संभावना: नए इलाके में शुरू होगा सर्वे,युवाओं को मिलेगा रोजगार,बदलेंगे आर्थिक हालात

UP / Uttarakhand

(लखनऊ UP)14फरवरी,2025.

उत्तर प्रदेश में तेल व प्राकृतिक गैस के भंडार होने की संभावना बढ़ गई है। बलिया और अलीगढ़ में सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं। ऐसे में अब गंगा बेसिन से जुड़े इलाके में नए सिरे से सर्वे की तैयारी है। यहां तेल या प्राकृतिक गैस के भंडार मिले तो सिर्फ प्रदेश की आर्थिक स्थिति ही नहीं बदलेगी बल्कि हजारों युवाओं को रोजगार भी मिलेगा।

ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन (ओएनजीसी) को भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण के दौरान बलिया और अलीगढ़ में तेल भंडार की संभावना दिखी है। हालांकि बलिया में अधिक संभावना दिख रही है। यहां के सागरपाली में करीब आठ एकड़ जमीन लीज पर ली गई है। सरकार से पेट्रोलियम अन्वेषण लाइसेंस मिलने के बाद खोदाई शुरू की गई है। इसमें प्रथमदृष्टया सकारात्मक परिणाम दिख रहे हैं। इसलिए अब गंगा बेसिन के बलिया से लेकर मिर्जापुर होते हुए फाफामऊ तक नए सिरे से सर्वे कराने की तैयारी है।

मीडिया से बातचीत में ओएनजीसी के चेयरमैन एके सिंह ने बताया कि बलिया बेसिन को लेकर काफी उत्साह है। अन्य इलाके भी संभावना तलाशी जाएगी। सर्वे के बाद राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपी जाएगी। ऐसी परियोजनाओं के पूरा होने में काफी समय लगता है। फिर भी यूपी के लिए बड़ी उपलब्धि हासिल होने की संभावना है।

पेट्रोलियम क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि खोदाई में जिस तरह के सकारात्मक परिणाम दिख रहे हैं, उससे उम्मीद है कि तेल भंडार के साथ ही प्राकृतिक गैस व अन्य तत्वों के भंडार भी मिल सकते हैं। चूंकि इस तरह की परियोजनाओं में करोड़ों रुपये खर्च होने के साथ ही वक्त लगता है। इसलिए खोदाई के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी।

लगातार चलता रहेगा शोध कार्य
बलिया व अलीगढ़ में खोदाई के साथ ही अनुसंधान कार्य भी निरंतर चलता रहेगा। दोनों स्थानों पर भू वैज्ञानिकों की टीम कार्य करेगी। बलिया के सागरपाली गांव में करीब तीन हजार मीटर गहरे कुएं की खोदाई शुरू हो गई है। वहीं, अलीगढ़ के अतरौली क्षेत्र के भवीगढ़ में भी ड्रिलिंग शुरू की गई है। ओएनजीसी के एक अधिकारी ने बताया कि खोदाई के दौरान सुरक्षा मानकों का ध्यान रखना होता है। नीचे से निकलने वाली गैस से कार्य करने वाले लोगों को बचाने की भी जिम्मेदारी होती है। इसलिए यह कार्य की धीमी गति से चलता है। वहीं, भूकंपीय तरंगों के दबाव का आकलन करने के साथ ही कैमरे से खोदाई के दौरान तस्वीरें भी ली जाती हैं।(साभार एजेंसी)

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