(लखनऊ UP)22मार्च,2025.
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में शनिवार को अमीर उल मोमेनीन हजरत अली की शहादत की याद में इमाम के ताबूत का जुलूस निकला। गमजदा माहौल में फिजा में गूंजती दर्द भरे नौहों की सदाओं के बीच हर आंख नम दिखी। ताबूत की जियारत करने के लिए बेकरार अजादार नंगे पैर ही ताबूत के पीछे चल दिए।
शबीह-ए-ताबूत का जुलूस रुस्तम नगर स्थित रौजा ए शबीह नजफ से निकलकर कर्बला तालकटोरा में जाकर संपन्न हुआ। ताबूत को कत्लगाह में अकीदत के साथ दफनाने के साथ ही हजरत अली की शहादत की याद में तीन दिन से चल रहा गम का सिलसिला भी खत्म हो गया।
रमजान के 19वें रोजे में पैगंबर मोहम्मद साहब के दामाद हजरत अली नमाज पढ़ने के दौरान हमले में जख्मी होने के बाद 21वीं रमजान को उनकी दर्दनाक शहादत की याद में रौजा ए शबीह नजफ से सुबह ताबूत का जुलूस निकाला गया। जुलूस निकलने से पहले मौलाना यासूब अब्बास ने सुबह फज्र की नमाज के बाद अलविदाई मजलिस को खिताब करते हुये इमाम की शहादत को बयान किया।
मजलिस के बाद महिलाओं ने ताबूत पुरुषों को सौंप दिया। ताबूत रौजा ए नजफ से अपनी मंजिल कर्बला तालकटोरा के लिए रवाना हुआ तो पुरुष, महिलाओं और बच्चों का हुजूम नंगे पैर अकीदत के साथ अपने इमाम की शहादत के गम में आंसू बहाते शामिल हुए। जुलूस में लोग हजरत अब्बास का अलम लेकर चल रहे थे।
ताबूत को छूने और चूमने के लिए बेकरार थे अजादार:
जुलूस के रास्ते मे ताबूत की जियारत कर हर आंख अश्कबार हो रही थी। ताबूत आगे निकलते ही अकीदतमंद ताबूत के पीछे चल पड़ते। जुलूस में शामिल अजादार ताबूत को चूमने व कंधा देने के लिये बेकरार दिखाई दे रहा था। जुलूस छोटे साहब, आलम रोड, कर्बला दियानुतददौला, काजमैन होते हुए मंसूर नगर तिराहा पहुंचा।
इसके बाद गिरधारी सिंह इंटर कालेज, संजीवनी अस्पताल से दाहिने मुड़कर हैदरगंज पहुंचा। यहां पर आयोजकों ने परंपरा के मुताबिक एक कुएं के पास कुछ पलों के लिए ताबूत को रोका जहां ताबूत पर एक काली चादर चढ़ाई और फिर ताबूत कर्बला तालकटोरा ले जाया गया। यहां पर कत्लगाह में आंसुओं का नजराना देकर दफन किया।
फिजा में गूंजी हैदर मौला या अली मौला की सदाएं:
कर्बला तालकटोरा में ताबूत दफन होते ही हैदर मौला या अली मौला की सदाएं गूंजने लगीं। लोगों ने दिनभर तालकटोरा पहुंच कर हजरत अली की तुरबत पर फातेहा पढ़ा(साभार एजेंसी)