(आगरा UP) 27मार्च,2025
पांच साल से चल रही प्रक्रिया के बाद आखिर आगरा विकास प्राधिकरण का मास्टर प्लान-2031 शासन से मंजूर हो गया। यह सिर्फ छह साल ही कारगर हो सकेगा। इस मास्टर प्लान से फतेहाबाद रोड, शमसाबाद रोड और ग्वालियर रोड की ओर विकास होगा, वहीं 571 वर्ग किमी में एडीए विकास कराएगा। नॉलेज सिटी, मेडिसिटी, लॉजिस्टिक पार्क, हैंडीक्राफ्ट सिटी जैसे नए क्षेत्र विकसित किया जाएगा।
एडीए के नगर नियोजक प्रोभात कुमार पाल ने बताया कि मास्टर प्लान में लैंड यूज के मामले में विशेष परिवर्तन किए गए हैं। जहां अभी तक भू उपयोग कृषि था वहां आवासीय और मिक्स लैंड यूज प्रस्तावित करके विकास के रास्ते खोले हैं। ग्वालियर रोड पर विकास प्राधिकरण की अटल टाउनशिप प्रस्तावित है। आगरा मेट्रो योजना में आसपास के क्षेत्र के विकास का प्लान (टीओडी) लागू किया गया है। धनौली में सिविल एन्क्लेव के आसपास के क्षेत्र के लैंड यूज में परिवर्तन किया गया है। एडीए का यह तीसरा मास्टर प्लान है। पहला प्लान 1971 में बना था, जबकि दूसरा 2004 में बना था जो 2021 तक प्रभावी रहा। नए मास्टर प्लान में 158 राजस्व गांव शामिल हैं। इससे एडीए क्षेत्र अब 541 वर्ग किमी हो गया है।
19 फीसदी ग्रीन बेल्ट, 45 फीसदी आवासीय रहेगा क्षेत्र:
एडीए के नए मास्टर प्लान-2031 में आगरा की आबादी 32 लाख होने का अनुमान जताया है। उसके मुताबिक 37,615 हेक्टेयर शहरी क्षेत्र चिह्नित किया गया है। इसमें 19.27 फीसदी ग्रीन बेल्ट है, वहीं 44.68 प्रतिशत क्षेत्र आवासीय, 5 प्रतिशत से अधिक औद्योगिक, ट्रैफिक के लिए 8.28 प्रतिशत भू उपयोग तय किया गया है। सामुदायिक सुविधाओं एवं पर्यटन के लिए 10.15 प्रतिशत और व्यावसायिक के लिए 3.84 फीसदी जमीन रहेगी। 7.21 फीसदी में एसटीपी, पोखर, जलाशय, श्मशान, कब्रिस्तान के लिए तय किया गया है।
ये विशेष क्षेत्र विकसित होंगे:
औद्योगिक पार्क
लॉजिस्टिक पार्क
मेगा टाउनशिप
हस्तशिल्प ग्राम
मेगा एमएसएमई क्लस्टर
आयुष पार्क
हैंडिक्राफ्ट सिटी
नॉलेज सिटी
मेडीसिटी
2031 की महायोजना में इतनी जमीन:
उपयोग भूमि हेक्टेयर में
आवासीय 16804.74
मनोरंजन-खुली जगह 7247.36
सामुदायिक सुविधाएं, पर्यटन 3816.72
यातायात-परिवहन 3115.02
उद्योग 2163.41
एसटीपी, श्मशान 2713.12
व्यावसायिक 1444.21
जीआईएस से अवैध निर्माण पर नियंत्रण:
मास्टर प्लान-2031 जीआईएस (जियोग्राफिक इन्फार्मेशन सिस्टम) बेस है। सैटेलाइट इमेज से निर्माण, खाली जगह, तालाब, पार्क, वनक्षेत्र की स्थिति पता चलती है। इसमें कोई परिवर्तन होता है उसका पता आसानी से लगाया जा सकेगा। एडीए अधिकारियों ने बताया कि इससे अवैध निर्माणों पर शिकंजा कसेगा(साभार एजेंसी)