(लखनऊ UP)25अप्रैल,2025.
मधुमेह की बीमारी के दौरान अब शरीर पर कोई भी घाव भरना आसान होगा। ये समस्या नैनो फाइबर तकनीक से दूर हो सकेगी। बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (बीबीएयू) के फार्मास्युटिकल साइंसेज़ विभाग के विभागाध्यक्ष व संकायाध्यक्ष प्रो. पीएस रजनीकांत और उनकी शोध टीम को मधुमेह के घावों के इलाज के लिए विकसित एक नवीन नैनोफाइबर-आधारित तकनीक पर पेटेंट मिला है।
पहली बार भारत में हुआ ऐसा नवाचार:
यह नवाचार भारत में पहले अपनी तरह के विकास को चिह्नित करता है, जो संभावित रूप से मधुमेह से प्रभावित लाखों लोगों के लिए घाव की देखभाल में क्रांति लाता है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने प्रो. पीएस रजनीकांत और उनकी शोध टीम को बधाई दी व इसे विश्वविद्यालय के लिए गौरव का विषय बताया।
मरीज को इस तरह पहुंच जाएगा फायदा:
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग-विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड केंद्र सरकार की इस परियोजना के लिए आवश्यक सहायता व संसाधन दिए गए हैं। पेटेंट किए गए नैनो फाइबर्स को मानव त्वचा की संरचना की नकल करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो पारंपरिक घाव भरने के चक्र की तुलना में उपचार प्रक्रिया को काफी तेज करता है। यह उन्नति क्रोनिक डायबिटिक फुट अल्सर से पीड़ित रोगियों के लिए एक आशाजनक विकल्प है। यह एक ऐसी स्थिति है, जो अक्सर खराब उपचार के कारण गंभीर जटिलताओं की ओर ले जाती है।
शोधकर्ताओं की बड़ी सफलता:
कुलपति ने बताया बायोमेडिकल अनुसंधान में बढ़ते नवाचार को उजागर करती है, बल्कि स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में नैदानिक अनुप्रयोगों और वाणिज्यिक विकास के लिए नए दरवाजे भी खोलती है। विश्वविद्यालय वर्तमान में इस उत्पाद को बाजार में लाने के लिए बड़े पैमाने पर परीक्षणों के लिए सहयोग की खोज कर रहा है। यह उपलब्धि बीबीएयू की अत्याधुनिक अनुसंधान के लिए प्रतिबद्धता और विज्ञान और नवाचार के माध्यम से राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा चुनौतियों में योगदान देने का सराहनीय कदम है।(साभार एजेंसी)