(लखनऊ UP)07मई,2025.
उत्तर प्रदेश में निजी बसों के लिए अब सभी जिलों में बस अड्डे बनेंगे। इनका निर्माण सरकारी क्षेत्र में भी हो सकेगा। नगर पालिका, नगर परिषद व निजी कंपनियां भी इसे बना सकेंगी। लेकिन, बस अड्डों पर यात्रियों के लिए सभी अत्याधुनिक सुविधाएं देनी होंगी। इसके लिए मंगलवार को कैबिनेट बैठक में यूपी स्टेज कैरिज बस अड्डा, कॉन्ट्रैक्ट कैरिज व ऑल इंडिया टूरिस्ट बस पार्क (स्थापना एवं विनियमन) नीति-2025 को मंजूरी दी गई है।
इन बस अड्डों के बनने से विभिन्न कस्बों में होने वाली जाम की समस्या से मुक्ति मिलेगी और यातायात व्यवस्था में सुधार होगा। वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि नीति के अंतर्गत प्रदेश भर में बस अड्डों व पार्कों की स्थापना के लिए किसी एक आवेदक को प्रदेश में 10 से अधिक, एक जिले में 2 से अधिक और एक ही मार्ग पर एक से अधिक बस अड्डा व टूरिस्ट बस पार्क स्थापित करने की अनुमति नहीं मिलेगी। निजी निवेश से स्थापना पर संचालन के लिए पहली बार 10 वर्षों के लिए अनुमति दी जाएगी, जिसका आगे 10 वर्षों के लिए नवीनीकरण हो सकता है। स्वामित्व का हस्तांतरण एक वर्ष से पहले नहीं होगा।
डीएम के यहां देना होगा आवेदन:
खन्ना ने बताया कि बस अड्डों और पार्कों की स्थापना के लिए डीएम के यहां आवेदन करना होगा। डीएम की अध्यक्षता में कमेटी बनेगी। स्टेज कैरिज बस अड्डा, कॉन्ट्रैक्ट कैरिज व ऑल इंडिया टूरिस्ट पार्क नियामक प्राधिकारी का गठन किया जाएगा। नीति के तहत बस अड्डा, कॉन्ट्रैक्ट कैरिज व बस पार्क की स्थापना के लिए कम से कम दो एकड़ भूमि होनी चाहिए। आवेदक की वार्षिक नेटवर्थ कम से कम 50 लाख व टर्नओवर 2 करोड़ रुपये होनी चाहिए। कोई भी व्यक्ति अथवा समूह आवेदन कर सकेगा।
नियामक प्राधिकरण में ये होंगे शामिल:
नियामक प्राधिकरण के अध्यक्ष डीएम होंगे। सदस्य के रूप में एससपी/एसपी/पुलिस आयुक्त द्वारा नामित अधिकारी, नगर आयुक्त व सचिव, विकास प्राधिकरण के अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका परिषद व नगर पंचायत के सचिव, संबंधित तहसील के एसडीएम व पुलिस क्षेत्राधिकारी, सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन), सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक परिवहन निगम, अधिशासी अभियंता पीडब्ल्यूडी व अध्यक्ष द्वारा नामित कोई विषय विशेषज्ञ शामिल होंगे। नीति के तहत स्टेज कैरिज बस अड्डा, कॉन्ट्रैक्ट कैरिज व ऑल इंडिया टूरिस्ट बस पार्क के स्वामित्व का हस्तांतरण किसी विधिक इकाई को किया जा सकता है। नीति के तहत नियामक प्राधिकारी को बस अड्डे के संचालक को सुनवाई का अवसर देने के बाद कतिपय स्थितियों में उनको निर्गत प्राधिकार पत्र के निलंबन अथवा निरस्तीकरण का अधिकार होगा। नियामक प्राधिकारी के किसी आदेश से संतुष्ट न होने पर बस अड्डा संचालक अपीलीय प्राधिकारी के रूप में मंडलायुक्त के समक्ष अपील कर सकेगा।
अभी नहीं हैं निजी बस स्टैंड
प्रदेश में अभी निजी स्टेज कैरिज बस एवं कॉन्ट्रैक्ट कैरिज बस के लिए अड्डों अथवा पार्क नहीं हैं। ऐसे में निजी बसें सड़कों पर अथवा सार्वजनिक स्थानों पर खड़ी होती हैं। वहीं, परिवहन निगम के बस अड्डों पर बसों की संख्या के अनुरूप पर्याप्त पार्किंग न होने से रोडवेज बसें भी सड़कों पर खड़ी होती हैं। बस पार्क बनने से ऐसी समस्याएं खत्म होंगी (साभार एजेंसी)