(नई दिल्ली)10मई,2025.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते एक दशक में रणनीतिक रूप से भारत की वायु रक्षा व आक्रमण क्षमता को मजबूती दी है। मोदी सरकार ने 2014 से अब तक बीते एक दशक में रणनीतिक रूप से न सिर्फ आधुनिक वायु रक्षा प्रणालियों का अधिग्रहण किया, बल्कि स्वदेशी तकनीकियों को भी बढ़ावा दिया। यह समग्र दृष्टिकोण भारत को एक ऐसी मजबूत स्थिति में लाकर खड़ा करता है, जहां वह अपनी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के साथ-साथ दुनिया के सामने एक शक्तिशाली देश के रूप में उभरता है।
सरकार के बड़े फैसलों से देश का वायु रक्षा तंत्र उल्लेखनीय रूप से सशक्त हुआ है। भारत आज एक ऐसा तकनीकी रूप से सक्षम हवाई क्षेत्र रक्षा तंत्र चला रहा है, जो न सिर्फ समय से पहले खतरे का पता लगाने में सक्षम है, बल्कि उन्हें जाम करने और नष्ट करने का भी सामर्थ्य रखता है। ऑपरेशन सिंदूर ने यह साबित कर दिया कि भारत अब सिर्फ अपनी हवाई सीमाओं की रक्षा नहीं करता, बल्कि उन्हें नियंत्रित भी करता है। भारत का यह कदम न केवल उसकी सैन्य शक्ति को बढ़ाता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी प्रतिष्ठा को भी मजबूती प्रदान करता है।
नई पीढ़ी के युद्ध साधन से गूंजी भारत की ललकार:
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने एक नई तकनीकी पहल भी की, इसमें भारत निर्मित ‘लूटरिंग म्यूनिशन्स’ (आत्मघाती ड्रोन) का इस्तेमाल किया गया। इन ड्रोन ने पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणालियों को चौंका दिया और इनसे सटीक हमले किए गए। इसके अलावा, इस्राइल के हारोप ड्रोन के जरिये पाकिस्तान के कराची और लाहौर में वायु रक्षा सिस्टम को नष्ट किया गया। ये सरकार की आत्मनिर्भर भारत मुहिम का नतीजा है कि हारोप ड्रोन अब भारत में बनाए जा रह हैं।
राफेल, स्कॉल्प व हैमर ने मनवाया लोहा:
वायुसेना के राफेल लड़ाकू विमानों ने इस ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाई। इनमें लैस स्कॉल्प और हैमर मिसाइलों ने दुश्मन की नींद उड़ा दी और सांसें थाम दीं। राफेल की मदद से भारत ने पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम्स को ध्वस्त कर दिया और उसकी ताकत को पूरी दुनिया के सामने उजागर किया।
एक के बाद एक तैयार हुआ हवाई कवच :
रक्षा के क्षेत्र की यह तत्परता रातोंरात नहीं आई है। 2014 से मोदी सरकार ने भारत के वायु रक्षा तंत्र को सशक्त करने के लिए क्रमबद्ध तरीके से कई महत्वपूर्ण उपाय किए। इनमें 2018 में 35,000 करोड़ रुपये के सौदे के तहत पांच एस-400 ट्रायम्फ स्क्वाड्रन की खरीद शामिल है। मोदी सरकार ने 2017 में इस्राइल से 2.5 अरब डॉलर में बाराक-8 मीडियम-रेंज सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल खरीदी। यह अभी भठिंडा जैसे अग्रिम सैन्य ठिकानों की रक्षा कर रही हैं। वहीं स्वदेशी रूप से डीआरडीओ में विकसित काउंटर-ड्रोन सिस्टम्स आकाश ड्रोन और यूएवी को जाम और निष्क्रिय करने में सक्षम हैं। मोदी सरकार की रणनीति का नतीजा है कि भारत में एकीकृत मानवरहित हवाई प्रणाली (यूएएस) ग्रिड, एस-400 ट्रायम्फ प्रणाली, बराक-8 मिसाइलें, आकाश सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें और डीआरडीओ की ड्रोन रोधी प्रौद्योगिकियां एक साथ मिलकर एक ऐसा हवाई कवच तैयार करती हैं जो मजबूती से टिका रहता है(साभार एजेंसी)