गैंडों की सुरक्षा हेतु दुधवा में बनेंगे दो नए रिहैब्लिटेशन सेंटर

UP / Uttarakhand

(लखनऊ ,UP)20जून ,2025.

वन्यजीव विभाग ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में गैंडों और अन्य संकटग्रस्त वन्य प्रजातियों के संरक्षण के लिए एक ठोस और दूरदर्शी योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत लखीमपुर खीरी जिले के दुधवा राष्ट्रीय उद्यान में दो नए राइनो रिहैब्लिटेशन सेंटर (आरआरए) की स्थापना की जाएगी। इस उद्देश्य के लिए राज्य सरकार ने 1.50 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की है। यह राशि गैंडों के संरक्षण, अवैध शिकार पर रोक, आवश्यक उपकरणों की खरीद और जागरूकता कार्यक्रमों पर खर्च किया जाएगा।

प्राकृतिक आवास की बहाली और दीर्घकालिक संरक्षण
गैंडों का प्राकृतिक आवास धीरे-धीरे घट रहा है और उन पर अवैध शिकार का खतरा भी बना रहता है। इसी स्थिति को ध्यान में रखते हुए दुधवा राष्ट्रीय उद्यान में दो नए आरआरए (राइनो रिहैब्लिटेशन एरिया) तैयार किए जाएंगे जिन्हें आरआरए-3 और आरआरए-4 नाम दिया जाएगा। यह आरआरए-1 और आरआरए-2 के विस्तार स्वरूप होंगे। इन क्षेत्रों में गैंडों को विशेष निगरानी में प्राकृतिक वातावरण में रहने की सुविधा मिलेगी, जिससे उनका स्वाभाविक व्यवहार और स्वास्थ्य संरक्षित रहेगा।

डिप्टी डायरेक्टर रंगाराजू के अनुसार, यह पहल गैंडों की आबादी को पुनर्जीवित करने और उनके प्राकृतिक आवास को सुरक्षित रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आरआरए में ऐसे पर्यावरणीय कारकों को सुनिश्चित किया जाएगा, जो गैंडों के विकास और प्रजनन के लिए अनुकूल हों।

वित्तीय आवंटन और उपयोग की रूपरेखा:
गैंडों के संरक्षण की इस परियोजना के लिए स्वीकृत 1.50 करोड़ रुपये की राशि को कई भागों में विभाजित किया गया है:
1.27 करोड़ रुपये गैंडों के प्राकृतिक आवास, जलाशयों, चारागाहों और अन्य आवश्यक वनस्पतियों के रखरखाव और बहाली पर खर्च किए जाएंगे।
7 लाख रुपये औषधियों और रसायनों की खरीद के लिए निर्धारित हैं।
4.80 लाख रुपये वृहत निर्माण कार्य (जैसे सुरक्षा दीवारें, जल स्रोत, शेड आदि) में व्यय किए जाएंगे।
3 लाख रुपये लघु निर्माण जैसे कि पशु आवास, नर्सरी एवं देखरेख केंद्र के लिए प्रयोग होंगे।
7 लाख रुपये निगरानी उपकरण, सीसीटीवी, ट्रैकिंग डिवाइसेज़ और अन्य संयंत्रों की खरीद में उपयोग किए जाएंगे।

अवैध शिकार पर निगरानी और रोकथाम की रणनीति:
गैंडों के संरक्षण के लिए केवल उनके निवास स्थान को संरक्षित करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि अवैध शिकार की रोकथाम के लिए मजबूत निगरानी तंत्र भी जरूरी है। इस हेतु वन विभाग द्वारा आधुनिक उपकरणों की मदद से गश्ती बढ़ाई जाएगी, साथ ही मानव संसाधन को प्रशिक्षित कर निगरानी तंत्र को और प्रभावी बनाया जाएगा। परियोजना के तहत स्थानीय ग्रामीण समुदायों को भी शामिल किया जाएगा, जिससे संरक्षण के प्रयासों में सामुदायिक भागीदारी बढ़ेगी। उनके लिए विशेष प्रशिक्षण सत्रों का आयोजन किया जाएगा, जिसमें उन्हें वन्यजीव संरक्षण के महत्व, कानून और जिम्मेदारियों की जानकारी दी जाएगी।

जैव विविधता संरक्षण में मिलेगा सहयोग:
गैंडों का संरक्षण सिर्फ एक प्रजाति विशेष का संरक्षण नहीं है, बल्कि यह पूरे पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता से जुड़ा हुआ है। गैंडे जिस क्षेत्र में रहते हैं, वहां की पारिस्थितिकीय विविधता समृद्ध होती है। उनका सुरक्षित रहना वहां अन्य संकटग्रस्त प्रजातियों जैसे कि दलदली हिरण, बाघ, हाथी, कछुए और पक्षियों के लिए भी लाभकारी होता है। इसलिए यह परियोजना गैंडों के साथ-साथ समग्र जैव विविधता के संरक्षण की दिशा में भी सहायक सिद्ध होगी।

पूर्व उपलब्धियों पर आधारित नई पहल:
दुधवा ने पहले भी राइनो संरक्षण में कई मील के पत्थर तय किए हैं। यहां 1984 में नेपाल से लाकर लाए गए गैंडों की एक छोटी आबादी बसाई गई थी, जो अब धीरे-धीरे बढ़ रही है। इसी सफलता को आधार बनाकर अब दो नए आरआरए क्षेत्र विकसित किए जा रहे हैं। इन क्षेत्रों को विश्व स्तर की सुविधाओं से लैस किया जाएगा।

योगी सरकार की संरक्षण नीति का अहम भाग:
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वन्यजीव संरक्षण को प्राथमिकता देते रहे हैं। प्रदेश में बाघ, तेंदुआ, हाथी और अब गैंडों के संरक्षण पर खास ध्यान दिया जा रहा है। राइनो रिहैब्लिटेशन सेंटर की स्थापना इसी नीति का हिस्सा है। आने वाले वर्षों में यह पहल न केवल गैंडों की आबादी बढ़ाएगी बल्कि प्रदेश को वन्यजीव पर्यटन के लिए भी प्रमुख गंतव्य बना सकती है।(साभार एजेंसी)

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