( अलीगढ़,UP )29जून,2025.
गाजियाबाद की जिस कंपनी ने अलीगढ़ में मेट्रो ट्रेन के द्वार बनाने की यूनिट लगाने का प्रस्ताव दिया था, उसे इस प्रोजेक्ट के लिए ख्यामई में भूखंड नहीं मिल पाया है। इस कंपनी को जेवर में एयरपोर्ट के पास यीडा में भूखंड मिल गया। अब कंपनी वहीं पर मेट्रो के द्वार बनाने की यूनिट लगाएगी।
गाजियाबाद की ओरियन प्रो सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड के एमडी संजीव सचदेव ने ख्यामई इंडस्ट्रियल स्टेट में निवेश प्रस्ताव के साथ-साथ ऑनलाइन दो प्लाट आवेदन किए थे। जिनमें से एक बड़ा भूखंड उन्हें मेट्रो के द्वार, ई-टिकट मशीन, मेट्रो ट्रेन के अन्य उपकरण बनाने के लिए चाहिए था। वे ई-नीलामी प्रक्रिया में शामिल भी हुए। नीलामी में इस प्रोजेक्ट के लिए जिस भूखंड के लिए उन्होंने बोली लगाई। सामने वाले ने उनसे अधिक बोली लगा दी। इसलिए उन्हें प्लाट नहीं मिल पाया। उन्हें अपना प्रोजेक्ट लगाना ही था।
इसलिए आनन फानन यीडा में संपर्क किया तो उन्हें जेवर एयरपोर्ट के पास उनके बजट में प्लाट मिल गया। इसलिए अब इस प्रोजेक्ट को वे अलीगढ़ के बजाय जिले के बॉर्डर पर जेवर में लगाने जा रहे हैं। इस विषय में कंपनी एमडी संजीव सचदेव इतना ही कहते हैं कि नीलामी प्रक्रिया के जरिये प्लाट अलीगढ़ में न मिल पाना अच्छा नहीं लगा। बात बजट से अधिक पहुंच गई थी, इसलिए यहां का प्लाट छोड़ना पड़ा। शासन को प्लाट आवंटन प्रक्रिया को सरल बनाना चाहिए।
बता दें कि संजीव सचदेव के पिता स्व.ओमप्रकाश सचदेव ने एएमयू से इंजीनियरिंग की थी। रघुवीरपुरी में उनका पुराना घर था। उन्होंने खुद ओएलएफ से दसवीं तक की पढ़ाई की। पिता ने 1962 से 82 तक दुबे पड़ाव पर मशीनरी पार्ट बनाने का कारखाना चलाया। बाद में गाजियाबाद में कारखाना लगाया। अलीगढ़ में जमीन का प्रस्ताव मिलने पर पुराना परिचित शहर होने के चलते यहां आए थे।
पर डेटा सेंटर उत्पाद बनाएगी ये कंपनी:
बेशक ओरियन प्रो सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड को मेट्रो के द्वार बनाने के लिए अपनी यूनिट लगाने को ख्यामई में प्लाट नहीं मिला। मगर उन्हें एक छोटा प्लाट ख्यामई में मिला है। जिसमें वे डेटा सेंटर से जुड़े उत्पाद बनाने का काम करेंगे। प्लाट आवंटन पत्र भी उन्हें मिल गया है। बहुत जल्द अपनी यूनिट का निर्माण कराएंगे। प्रयास करेंगे कि इस वर्ष दीपावली तक यहां उत्पादन शुरू कर दें। यह यूनिट भी 50 करोड़ के निवेश से शुरू होगी।
ई-नीलामी प्रक्रिया पर उद्यमियों ने शुरुआत से विरोध किया था। इस विषय में शासन में अधिकारियों से वार्ता हुई तो उन्होंने कहा कि पारदर्शिता के लिए नीलामी की जा रही है।-डा.गौरव मित्तल, प्रदेश संयुक्त महामंत्री लघु उद्योग भारती
ये पूरी प्रक्रिया शासन के निर्देश पर नियम के अनुसार पारदर्शिता के तहत की गई है। नीलामी प्रक्रिया ऑनलाइन हुई है। अभी भी 11 प्लाट शेष हैं।-बीरेंद्र सिंह, संयुक्त आयुक्त उद्योग (साभार एजेंसी)