जलालाबाद का नाम बदलकर होगा,”परशुरामपुरी”

UP / Uttarakhand

( शाहजहांपुर,UP )02जुलाई,2025.

शाहजहांपुर जनपद के जलालाबाद नगरवासियों के लिए बड़ी खुशखबरी है। प्रदेश सरकार ने नगर का नाम परशुरामपुरी घोषित करने के प्रस्ताव को अनुमोदन दे दिया है। प्रदेश के प्रमुख सचिव ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के सचिव को पत्र भेजकर नाम परिवर्तन की स्वीकृति शीघ्र देने की अपेक्षा की है, ताकि इससे संबंधित कार्य आगे बढ़ाया जा सके। इस कवायद के बाद भगवान परशुराम की नगरी उनके नाम से जाना-पहचाना जाएगा।

प्रमुख सचिव की ओर से केंद्रीय गृह सचिव को भेजे पत्र में कहा गया है कि जलालाबाद भगवान परशुराम की जन्मस्थली है। वहां भगवान परशुराम का काफी पुराना ऐतिहासिक मंदिर भी है। इसलिए जलालाबाद का नाम परशुरामपुरी रखे जाने की मांग की जाती रही है। नगर पालिका परिषद ने मार्च 2018 व सितंबर 2023 में इस मांग के प्रस्ताव बोर्ड बैठक में भी पारित किए। अप्रैल में शाहजहांपुर के डीएम ने बोर्ड की बैठक में पारित प्रस्ताव संलग्न कर नाम परिवर्तन को अपनी संस्तुति सहित पत्र शासन को भेजा था।

पत्र में प्रमुख सचिव ने यह भी कहा है कि केंद्रीय राज्यमंत्री जितिन प्रसाद ने बीते अप्रैल में ही लोगों की आस्था को देखते हुए नगर का नाम परशुरामपुरी घोषित किए जाने की मांग शासन से की थी। उक्त मांग तथा पालिका बोर्ड के प्रस्ताव पर प्रदेश सरकार ने अपनी सहमति जताते हुए नगर का नाम परशुरामपुरी किए जाने का अनुमोदन दे दिया है। इसलिए गृह मंत्रालय से प्रस्ताव पर अनुमति शीघ्र अपेक्षित है, जिससे कि राज्य सरकार आगे की कार्यवाही कर सके।

वर्षों से चली आ रही है मांग:
भगवान परशुराम की यह नगरी आसपास क्षेत्र में ही नहीं बल्कि दूरदराज जनपदों के लोगों की आस्था से जुड़ी रही है। इस नगर का नाम परशुरामपुरी घोषित किए जाने की मांग भी लंबे समय से चली आ रही है। समय-समय पर ज्ञापन के माध्यम से भगवान परशुराम जन्मभूमि प्रबंध समिति, बाबा परशुराम सर्व कल्याण समिति सहित कई अन्य सामाजिक संगठन प्रदेश सरकार से इस मांग को दोहराते चले आ रहे हैं। राष्ट्रीय बजरंग दल व अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद की ओर से पिछले करीब एक साल से ज्ञापन हर माह की पांच तारीख को दिया जा रहा है। अप्रैल में समाधान दिवस में यहां पहुंचे डीएम को इस संगठन के कार्यकर्ताओं ने ज्ञापन दिया था। इसके बाद डीएम ने बोर्ड में पास किये गए इस मांग संबंधी प्रस्तावों को उन्हें भेजे जाने के निर्देश ईओ को दिए थे। इसके बाद से यह मांग जोर पकड़ती चली गई। जिला सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह भन्नू ने भी केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद और डीएम को पत्र देकर यह मांग उठाई थी।

24 अप्रैल 2022 को घोषित हुई जन्मस्थली:
भगवान परशुराम की इस नगरी को शासन की ओर से 24 अप्रैल 2022 को जन्मस्थली घोषित किया गया था। पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने मंदिर प्रांगण में आयोजित सभा में इसकी घोषणा की थी। इस दौरान उन्होंने मंदिर प्रांगण का सुंदरीकरण करते हुए पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कराने का वादा भी किया था।

30 करोड़ की धनराशि से संवारी जा रही है जन्मस्थली:
जन्मस्थली घोषित होने के बाद मंदिर प्रांगण के सुंदरीकरण और श्रद्धालुओं की सुविधा से जुड़े विभिन्न तरह के कार्य कराने के लिए मुख्यमंत्री संवर्धन योजना के तहत 19 करोड़ की धनराशि प्रदेश सरकार ने मंजूर की थी। इसके अलावा सरकार ने मंदिर के पास स्थित करीब 42 एकड़ के रकबे वाले तालाब के पानी को साफ सुथरा करने, इस पर घाट, सीढि़यां और पाथ-वे का निर्माण करने, रामताल के किनारे से ही मंदिर तक सीधा व चौड़ा रास्ता बनाने सहित विभिन्न अन्य तरह के कार्यों के लिए अमृत सरोवर योजना के तहत 11 करोड़ की धनराशि अलग से मंजूर की थी। इस धनराशि से दोनों जगहों पर कार्य चल रहे।(साभार एजेंसी)

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