(मेरठ, UP )06अगस्त,2025.
उत्तर प्रदेश की औद्योगिक महत्वाकांक्षा इन दिनों नए आयाम छू रही है। रैपिड रेल, एक्सप्रेसवे, एयरपोर्ट और नई टाउनशिप जैसी योजनाएं प्रदेश के मेरठ जिले को आधुनिक भारत के नक्शे पर तेज़ी से उभरते एक नए औद्योगिक केंद्र के रूप में स्थापित करने में जुटी हैं, लेकिन विकास की इस चमक के पीछे अंधेरे में एक डर भी साया बनकर मंडरा रहा है, वो है बढ़ता अपराध और बेलगाम होते अपराधी।
अपराधियों के हौसले क्यों हैं बुलंद?:
इस सवाल का जवाब जमीनी हकीकत में छिपा है। पुलिस द्वारा एनकाउंटर, गिरफ्तारियां और सतत कार्रवाई जैसे प्रयास किए जा रहे हैं, फिर भी अपराध रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। सवाल यह भी उठता है कि क्या ये कार्रवाई सतही हैं, या अपराधियों को जमीनी स्तर पर कोई और संरक्षण प्राप्त है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि कई मामलों में अपराधियों को राजनीतिक शह प्राप्त होती है। वहीं, पुलिस महकमा यह दावा करता है कि हर केस में तेज़ी से कार्रवाई की जा रही है, लेकिन अपराध की जड़ें इतनी गहरी हैं कि उन्हें उखाड़ने में वक्त लग रहा है।
विकास बनाम सुरक्षा: आम आदमी की चिंता
जैसे-जैसे शहर विकास की ओर बढ़ रहा है, वहां की जनसंख्या भी बढ़ रही है। नए उद्योग, कंपनियां और टाउनशिप तो बन रही हैं, लेकिन उसी अनुपात में पुलिस बल, इंटेलिजेंस नेटवर्क और सुरक्षा संसाधनों में इजाफा नहीं हो पाया है। इसका सीधा असर अपराध दर पर दिख रहा है।
औद्योगिक क्षेत्रों में मजदूरों, ठेकेदारों, बाहरी प्रवासियों का बड़ा जमावड़ा हो रहा है। इनमें से कुछ असामाजिक तत्व भी होते हैं, जो अपराध को अंजाम देकर गायब हो जाते हैं। पुलिस की सीमित उपस्थिति और खुफिया तंत्र की कमजोरी के कारण उन्हें समय रहते पकड़ा नहीं जा पाता।
राजनीतिक नेतृत्व की दोहरी चुनौती:
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी ने बीते वर्षों में अपराध के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है। कई माफियाओं की संपत्ति कुर्क की गई, एनकाउंटर हुए, गैंगस्टरों को जेल भेजा गया, लेकिन हालिया घटनाएं यह इशारा करती हैं कि अपराधी अब नए तरीके से खुद को ढाल रहे हैं और पुलिस से एक कदम आगे निकलने की कोशिश कर रहे हैं। राजनीतिक नेतृत्व के सामने अब दोहरी चुनौती है, एक ओर विकास की रफ्तार को कायम रखना और दूसरी ओर जनता को सुरक्षा का भरोसा दिलाना।
क्या चाहिए अब?
इंटेलिजेंस नेटवर्क मजबूत हो – अपराध होने के बाद नहीं, उससे पहले इनपुट मिलना ज़रूरी है।
स्थानीय पुलिस को संसाधन और अधिकार मिलें – ताकि वह तुरंत कार्रवाई कर सके।
समुदाय की भागीदारी – मोहल्ला समितियां, चौपाल, डिजिटल निगरानी जैसी योजनाएं लागू की जाएं।
तेज ट्रायल और सख्त सजा – ताकि अपराधियों में कानून का भय बना रहे।
आम जनता की राय:
लोगों का कहना है कि उत्तर प्रदेश निश्चित रूप से नए युग में प्रवेश कर रहा है। उद्योग, बुनियादी ढांचे और निवेश के क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव हो रहे हैं, लेकिन अगर कानून-व्यवस्था मजबूत नहीं हुई तो यह विकास खोखला रह जाएगा, क्योंकि एक भयभीत समाज में निवेशक भी टिकता नहीं और आम आदमी तो हर रोज़ डर के साये में जीता है। अब वक्त है कि विकास के साथ-साथ सुरक्षा को भी समान प्राथमिकता दी जाए।(साभार एजेंसी)