( लखनऊ,UP )18अगस्त,2025.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आम आदमी पार्टी के नेता व राज्यसभा सांसद संजय सिंह द्वारा दायर उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 105 सरकारी प्राथमिक विद्यालयों को पास के स्कूलों में विलय करने के फैसले की वैधता को चुनौती दी गई थी। इन प्राथमिक विद्यालयों में नामांकन शून्य या बहुत कम था।
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने यह देखते हुए कि इसी तरह का मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित है। याचिकाकर्ता सिंह को संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिका को वापस लेने के लिए प्रेरित किया। दरअसल, पीठ ने पाया कि याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि सैकड़ों छात्रों का भविष्य दांव पर लगा है। हालांकि, पीठ ने कहा कि यह एक स्थानीय समस्या है और अन्य राज्यों तक नहीं फैली है, इसलिए इलाहाबाद हाईकोर्ट को इसकी जांच करनी चाहिए।
अदालत ने कहा कि चूंकि यह मामला बच्चों के निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत वैधानिक अधिकारों के प्रवर्तन से संबंधित है और हाईकोर्ट पहले से ही इस मामले पर विचार कर रहा है, इसलिए बेहतर होगा कि वह इस पर निर्णय ले।
अदालत ने याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने की स्वतंत्रता प्रदान की और मामले का शीघ्र निपटारा करने के लिए कहा कि याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इस वर्ष जून में 105 स्कूलों को “बंद” करने का निर्णय अवैध, मनमाना और असंवैधानिक था। उनकी याचिका में कहा गया था कि शिक्षा का अधिकार नियमों के तहत कम से कम 300 लोगों की आबादी वाली प्रत्येक बस्ती के एक किलोमीटर के दायरे में कक्षा 1 से 5 तक के लिए प्राथमिक विद्यालय स्थापित करना अनिवार्य है।(साभार एजेंसी)