(बाराबंकी UP)15मार्च,2025.
एक ओर जहां प्रदेशभर में होली और जुमे की नमाज को लेकर सुरक्षा के मद्देनजर हाई अलर्ट जारी किया गया है, वहीं बाराबंकी के देवा कस्बे से सौहार्द्र और आपसी भाईचारे का अनुपम संदेश पूरे देश को जा रहा है। यहां स्थित सूफी संत हाजी वारिस अली शाह की दरगाह पर हिंदू-मुस्लिम एक साथ मिलकर रंगों का त्योहार मना रहे हैं।
सबसे खास बात यह है कि दरगाह परिसर में होली खेलते वक्त मुस्लिम समाज के नमाजियों का पूरा सम्मान रखा जा रहा है। जब कोई नमाजी मस्जिद की ओर जाता है तो उस पर रंग नहीं डाला जाता, न ही गुलाल लगाया जाता है। इस अनूठी परंपरा ने न केवल धार्मिक सहिष्णुता की मिसाल पेश की है, बल्कि पूरे प्रदेश में गंगा-जमुनी तहजीब का संदेश भी दिया है।
सदियों पुरानी परंपरा का अनूठा संगम:
देवा कस्बे में यह परंपरा सदियों पुरानी है। संत हाजी वारिस अली शाह ने अपने जीवनकाल में ‘जो रब है वही राम है’ का संदेश दिया था, जो आज भी यहां की आबोहवा में बसा हुआ है। उनकी दरगाह पर हिंदू-मुस्लिम समेत सभी धर्मों के लोग सिर झुकाने आते हैं।
होली के मौके पर यह स्थान और भी खास बन जाता है, जब दरगाह परिसर में श्रद्धालु और जायरीन चाहे वे हिंदू हों या मुस्लिम एक साथ रंगों में सराबोर हो जाते हैं। इस पल को कैमरे में कैद करने के लिए दूर-दूर से लोग यहां पहुंचते हैं।(साभार एजेंसी)