(लखनऊ UP)28फरवरी,2025.
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति से जुड़े अभियंताओं एवं कार्मिकों ने मंगलवार ने काम खत्म करने के बाद मोमबत्ती जुलूस निकाला। प्रदेश सरकार और कार्पोरेशन प्रबंधन ने निजीकरण का फैसला वापस लेने की मांग की।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2016 में उज्जैन महाकुंभ के दौरान उज्जैन की बिजली व्यवस्था निजी कंपनी के पास थी। कंपनी ने महाकुंभ के दौरान बिजली का नेटवर्क तैयार करने और बिजली आपूर्ति करने से इनकार कर दिया था। तब मध्य प्रदेश सरकार को निजीकरण का करार रद्द करना पड़ा था, जबकि पूर्वांचल के विद्युत कर्मी पूरी तत्परता से प्रयागराज में आपूर्ति व्यवस्था बनाए हुए हैं।
संघर्ष समिति ने कहा कि निजी क्षेत्र की विमानन कंपनियों ने महाकुम्भ के दौरान लखनऊ से प्रयागराज का किराया 36 हजार रुपए कर दिया है। यदि बिजली निजी क्षेत्र में होती तो महाकुम्भ में 20-30 रुपये प्रति यूनिट की दरों पर बिजली मिलती। निजीकरण का फैसला लेते समय यह भी सरकार को विचार करना चाहिए।
29 को नहीं होगा विरोध प्रदर्शन:
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बताया कि पदाधिकारियों को निर्देशित किया है कि लोगों की आस्था को देखते हुए प्रयागराज सहित पूरे प्रदेश में 29 जनवरी को विरोध प्रदर्शन नहीं किया जाएगा। प्रयागराज में 28 को भी कर्मियों ने विरोध नहीं किया और 30 जनवरी को भी कोई आंदोलन नहीं होगा। नासा के अंतरिक्ष केन्द्र ने महाकुम्भ की 75000 से अधिक एल ई डी लाइटों से रोशन बिजली व्यवस्था की तस्वीर जारी की है। संघर्ष समिति के निर्देश पर बिजली कर्मियों ने प्रयागराज में इतिहास रचा है।
मौनी अमावस्या पर बिजली व्यवस्था से हम महाकुम्भ को और दिव्य बनाएंगे। मालूम हो कि महाकुंभ के दौरान प्रयागराज के कुंभनगर में 4 लाख 25 हजार अस्थाई बिजली कनेक्शन दिए गए हैं । 11/0.4 केवी के 85 विद्युत उपकेंद्र बनाए गए हैं । 182 सर्किट किलोमीटर एचटी लाइन बनाई गई है और 1400 सर्किट किलोमीटर एलटी लाइन बनाई गई है। कुंभ नगर में बिजली के 340 डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर लगाए गए हैं। कुम्भ नगर में सुचारू विद्युत आपूर्ति के लिए 52000 बिजली के खम्भे लगाए गए हैं। प्रत्येक विद्युत उपकेन्द्र पर दो सोर्स से बिजली आपूर्ति की व्यवस्था की गई है। कुछ प्रमुख विद्युत उपकेंद्रों पर तीन सोर्स से बिजली आपूर्ति का इंतजाम किया गया है। (साभार एजेंसी)